Quantcast
Channel: Riwa Singh – Firkee
Viewing all 94 articles
Browse latest View live

खेल खत्म हुआ! बिहार बोर्ड के मुखिया ने कहा कि 20 लाख लिए थे हर टॉपर से

$
0
0

बिहार वैसे भी बुद्धिजीवियों का राज्य रहा है। शुरू से अगर लालू और नितीश बिहार के साथ गिल्ली-डंडा नहीं खेलते तो शायद आज इसका हाल कुछ और ही होता। पर क्या करें उन्हें भी तो अपना घर चलाना है। हम बिहार को जानते हैं आईएएस-पीसीएस के लिए, यूपीएससी के लिए, आईआईटी के लिए, सुपर-30 के लिए। लगता है कि क्या खाकर पढ़ते हैं बिहारी लोग जो इतनी तेज़ दिमाग चलता है। बहुत मेहनती भी होते हैं सो आगे भी बढ़ते हैं। फिर भी ‘बिहारी’ एक गाली ही बनी हुई है।

ख़ैर, इस पर फिर कभी बहस करेंगे। कहना ये था कि इतनी अच्छाइयों के बावजूद हम अभी अगर बिहार को जानते हैं तो किसलिए? रूबी राय के लिए? सौरभ श्रेष्ठ के लिए? नाम ही खराब कर दिया है बिहार का! एक समय बिहार बोर्ड के 60% नम्बर भी जाने जाते थे। आज अगर किसी को मेहनत के बाद भी 85% मिले होंगे तो उसकी मेहनत पर यकीन करने में वक्त लगेगा। हमें तो गुस्सा आता ही है, पता नहीं बिहार के बंधुओं को कितना बुरा लगता होगा।

Topper2

तो भईया आज हम आपको ये बताने आए थे कि बिहार में एक के बाद एक ऐसे होनहार लोग टॉपर कैसे बने इस राज़ से पर्दा उठ गया है। सारा खेल खत्म हो गया। दरअसल बिहार बोर्ड के चेयरमैन ने अपनी कारस्तानी कुबूल कर ली है। उनको पईसा कमाना था, सो कमा लिए। किसी का भविष्य बने न बने इसका ठेका थोड़ी न लिए हैं। सर जी ने कह दिया कि उन्होंने ही उन होनहारों को टॉपर बनाया था। वो भी 20-20 लाख रुपये लेकर।

दरअसल बच्चे कई तरह के होते हैं। एक वो जो पागलों की तरह पढ़ते हैं, जिन्हें देखकर आपके मां-बाप आपकी क्लास लगाते हैं और कई बार चप्पलियाते भी हैं। दूसरे वो जो पढ़ते हैं क्योंकि उन्हें यही बताया गया है कि पढ़ोगे तो ही किसी लायक हो पाओगे। तीसरे होते हैं वो बेचारे जिनकी खोपड़ी पर कितने भी लात-जूते-घूसे बरसाए जाएं पर वो पढ़ ही नहीं सकते। उनको पढ़ना ही नहीं है, आपको जो मन करे वो कर लो, नहीं पढ़ेंगे तो नहीं पढ़ेंगे।

Topper3

इन बच्चों के लिए उनके मां-बाप ने पइसे फूंके थे, 20 लाख रुपये। बाप रे! इतने में तो हमारे अखिलेश जी नौकरी ही दे देते। तो बीस लाख रुपये फूंके गए इनकोे पास करवाने के लिए। अब 20 लाख हलुआ तो है नहीं, जो इतना देगा वो पास ही क्यों होगा? टॉपर न बनेगा? बच्चे का मन है भाई! प्रॉडिकल साइंस  पढ़ने वाले बच्चे हैं। सोडियम के बाहरी शेल में 2 इलेक्ट्रॉन भरने वाले बच्चे हैं। तो इन्हें टॉपर बना दिया गया, बस!

अरे-अरे! इन होनहारों के बीच मैं इनके मुखिया का नाम तो बताना ही भूल गई। बिहार बोर्ड के चेयरमान सर का नाम है – लालकेश्वर प्रसाद। जितना रोशन रूबी राय का नाम किया है उससे कम से कम 70% ज्यादा रोशन इनका नाम करना चाहिए। सबको पता चलना चाहिए यार! ऐसे थोड़ी न होता है। इतना बड़ा रिस्क लिया उन 20% वाले बच्चों को 90% तक पहुंचाने में, तो क्या 70% की मेहनत के लिए 70% एक्स्ट्रा फोकस नहीं पड़ना चाहिए सर पर?

Chairman..

नकल करवाने का एक रैकेट है – किंगपिन। इससे पईसा लिया था सर जी ने होनहारों को टॉपर बनाने के लिए। पटना के एसएसपी साहब तो ये भी कह रहे हैं कि सर जी ने 100 से अधिक कॉलेजों से 4-4 लाख रुपये लिए और उन्हें बिहार बोर्ड की मान्यता दे दी। पईसा अपने घर में आता है तो किसी को प्रॉब्लम नहीं होती है, सो इन्हें भी नहीं हुई।

देश का ठेका थोड़े न ले रखे हैं। सब आईएएस ही बन रहे हैं, क्या हुआ अगर कोई टॉपर क्लर्क भी न बन पाए तो? बैलेंस भी तो बनाना है न सोसाइटी में! वो इनकी गलती थोड़ी है कि चोरी पकड़ी गई। हम भी तो आंख मूंद कर किसी को कोई भी कुर्सी पकड़ा ही रहे हैं न। सेंसर बोर्ड से लेकर निफ्ट तक प्रतिभावान लोग ही बैठे हैं। इन बेचारों को भी अपना जौहर दिखाने का मौका मिल ही जाता, पर खेल पहले ही खत्म हो गया।

मां-बाप कितने अच्छे हैं जो पास करवाने के लिए इतने पईसे दे दिए। हमारे बाप तो खराब नम्बर सुनकर दो कंटाप धर देते और जो बेइज़्ज़ती करते सो अलग। गलती किसी की नहीं है। सिस्टम की भी नहीं और मम्मी-पापा की तो बिल्कुल भी नहीं। सबलोग मेहनत कर रहे थे ताकि बच्चे का भविष्य संवर जाए। ये बच्चे इसी प्रक्रिया से पढ़ते रहते तो एक दिन उन मुखिया जी की कुर्सी पर भी बैठ सकते थे, पर फ्यूचर बिगाड़ दिया उनका। उनकी कुर्सी पर बैठकर वो सबको बताते की पढ़ने-लिखने में कुछ नहीं रखा है। पैसा फेंक तमाशा देख।

सबने खूब मेहनत की, कई दूसरे लोग अभी मेहनत कर भी रहे होंगे। अतुल्य भारत का निर्माण ऐसी ही मेहनत से होना है।

The post खेल खत्म हुआ! बिहार बोर्ड के मुखिया ने कहा कि 20 लाख लिए थे हर टॉपर से appeared first on Firkee.


एक के बाद एक रेप, बिहार में बहार है.. नितीशे कुमार है!

$
0
0

हमारे देश में एक राज्य है – बिहार। जब किस्मत बंट रही थी तो ये उस लाइन में था जहां राहुल बुद्धि और तेज प्रताप यादव शिक्षा लेने गए थे। तीनों में से किसी को कुछ नहीं मिला।

बिहार की अंधेर नगरी में लालू यादव ने लालटेन जलाया और बिहार लालूमय हो गया। जैसे ही शाम होती, घरों के लालटेन जलते, लड़कियां चौखट के अंदर आ जातीं क्योंकि बाहर गूंडों का राज होता। लोग कहते हैं कि बहू-बेटियां घर में भी सुरक्षित नहीं थीं उस दौर में। फिर नितीश बाबू का सुशासन आया, लोगों को लगा कि हवा में गुंडागर्दी के अलावा ऑक्सीज़न भी है। नितीश बाबू लगातार चौके-छक्के लगाते रहे। जब देश को लग रहा था कि मोदी की लहर चल रही है तो भी नितीश ने बता दिया कि बिहार में न कभी मोदी चलेंगे और न फॉग चलेगा, अगर कोई चलेगा तो सिर्फ़ नितीश चलेंगे।

Rape1

मोदी के खिलाफ़ खड़े होने के लिए साहब ने अपने धुर विरोधी से भी हाथ मिलाकर सबको चौंका दिया। लालू का गुंडाराज और नितीश का सुशासन एक साथ आ गया। सबको बताया गया कि – फिर से एक बार हो, बिहार में बहार हो, नितीशे कुमार हो। लोगों ने मान लिया कि उनके पास इससे बढ़िया विकल्प नहीं है। सो नितीशे कुमार फिर से सिंहासन संभालने आ गए। साथ में लालू के बचवा लोग भी आए।

अब हो ये रहा है कि उसी बहारमयी बिहार में लड़कियां फिर से असुरक्षित हैं। घर से बाहर निकलती हैं तो रेप हो जाता है, घर में रहती हैं तो घसीटकर निकाला जाता है और रेप कर दिया जाता है। लड़कियां बनी किस लिए हैं? हाड़-मांस का लोथा ही तो हैं, उनके जन्म का उद्देश्य ही रेप-पीड़ित होना है। और रेप को पीड़ा से जोड़कर न देखा जाए। रेप होता है क्योंकि रेप होते देना ही उन लड़कियों का कर्तव्य है। वरना गांव-देहात की वो लड़कियां और किस काम आ सकती हैं भला। इतना भी न हो पाया तो कैसी बहार।

Rape2

एक लड़की है, मोतिहारी के मधुवन गांव की। अभी 12 साल की है। बगीचे में गई थी आम लाने। दो ‘मर्दों’ ने इसे अपना जोश दिखाने के लिए सबसे अच्छा अवसर समझा, खींचकर ले गए और रेप कर दिया। 12 साल की बच्ची है। अभी-अभी उसके स्कूल में रिप्रोडक्शन वाला चैप्टर पढ़ाया गया होगा या पढ़ाया जाएगा। उसकी मां ने बताया होगा कि माहवारी जैसी भी एक चीज़ होती है। अभी वो ये सब समझने की कोशिश में उलझी होगी कि इन जोशीले लोगों ने उसे पकड़कर सबकुछ एक बार में ही समझा दिया। परिवार ने शिकायत दर्ज कराने की ज़ुर्रत की तो धमकियां मिलने लगीं कि बेटे को भी अगवा कर लिया जाएगा। लड़की को बहुत सारी चोटें आई हैं, ऑपरेशन किया गया है। अभी होश नहीं आया है।

अब आस-पास के 10 गांवों के लोग सोचेंगे कि भाड़ में गई ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना। घर से बाहर जाना है तो भाई के साथ जाओ और जल्दी से शादी-ब्याह हो जाए ताकि ‘इज़्ज़त’ को लेकर मां-बाप की सांसें न अटकी रहें।

एक दूसरी घटना है, 17 साल की लड़की है। पूर्वी चंपारण के जुमईटोला गांव में रहती है। समीउल्लाह नाम का एक आदमी जिसकी उम्र करीब 26-27 वर्ष होगी उसका रेप करता है और उस रेप को अपने मनोरंजन का साधन बनाने के लिए वीडियो-क्लिप भी बना लेता है। वीडियो क्लिप के जरिए मनोरंजन से ज्यादा अगर कोई काम होता है तो वो है ब्लैकमेलिंग। लड़के का नाम समीउल्लाह है इस पर खूब बवाल हो सकता है, सियासत हो सकती है। पर ऐसी बहस में लड़की पीछे छूट जाती है। तो समीउल्लाह उसी वीडियो के ज़रिए लड़की को फिर से बुलाता है। लड़की जाती है, उसके पेनिस पर ब्लेड चला देती है।

Rape3

निशाना बहुत ठीक नहीं बैठा और वो मर्द आ गया अपनी मर्दान्गी दिखाने पांच लोगों के साथ। परिवार के सामने लड़की को घर से बाहर घसीटकर ले गया, रेप किया। योनि में लकड़ी डाली और फिर पिस्टल की नली घुसेड़ दी। सब तमाशा देख रहे थे। पहले जब लड़की का रेप हुआ तो उसने मां से कहा, मां ने लड़के के यहां जाकर शिकायत की। पिट कर वापस आ गई। इस बार जब मामला पूरे गांव के सामने हुआ, पुलिस ने खूब कार्यवायी की। 11 तारीख को ये घटना हुई। पुलिस ने केस दर्ज किया और 22 तारीख को मेडिकल जांच के आदेश दिए। 11 तारीख के बलात्कार के बाद 22 तारीख को लड़की की योनि में सीमन ढ़ूंढ़ा जा रहा था। चोट ढूंढी जा रही थी।

बाद में मामला और ‘साफ’ हो गया। बताया गया कि इस लड़की का उस लड़के के साथ अफेयर था। मुझे अब समझ आया कि जिनका अफेयर होता है वो लोग घर से बाहर घसीटकर अपनी गर्लफ्रेंड के साथ सेक्स करते हैं।

दो लड़कियां हैं, बिहार के बहार का स्वाद चख चुकी हैं। अब वो घर से बाहर निकलेंगी तो लोग उनपर अगर बहुत मेहरबान हुए तो तरस ही खाएंगे और अगर नहीं हुए तो बद्चलन का ठप्पा तो है ही उनके माथे पर। क्या करने गई थी भरी दुपहरी में आम के बगीचे में? सुबह शौच के लिए जाती हैं तो रेप हो जाता है, दोपहर में आम लेने जाती हैं तो रेप हो जाता है और रात तो वैसे भी विश्व-विख्यात है रेप होने के लिए।

तो लड़कियों के लिए कोई वक्त नहीं होता, कोई घड़ी नहीं होती। उन्हें सुरक्षित रहना है तो तमीज़ से अपने घर में रहें। बाहर जाएंगी तो रेप होगा ही। घर ही लक्ष्मण रेखा है, बाहरी जगह तो रेप होने के लिए बना है। नितीश सरकार के डीएनए में लालटेन घुल गया है। अब सब ऐसे ही ठीक होता जाएगा। सरकारें आती हैं और चली जाती हैं। लड़कियों का भला हो पाना मुश्किल है। नितीश बाबू फक्र से बताते हैं कि मेहनती लोग हैं बिहार में। बिहारी हर जगह नाम रोशन कर रहे हैं। ये नहीं बताते कि बिहारी बाहर जाकर नाम रोशन कर रहे हैं। बिहार में सिर्फ़ लालटेन भर की रोशनी है।

 

The post एक के बाद एक रेप, बिहार में बहार है.. नितीशे कुमार है! appeared first on Firkee.

‘शहादत’का चश्मा हटाकर देखिए तो बहुत बेबस होते हैं हमारे जवान

$
0
0

शनिवार को पंपोर आतंकी हमले में हमारे 8 जवान शहीद हुए। कॉन्स्टेबल वीर सिंह उनमें से ही एक थे। फिरोज़ाबाद के रहने वाले वीर सिंह ने सन् 1981 में सीआरपीएफ़ जॉइन किया था। सीमा पर या अंदरूनी हमलों में हमारे जवान शहीद हो जाते हैं और हमारा देश और महान बन जाता है।

Veer

हम गर्व से सीना फुला लेते हैं और अपने हिंदुस्तानी होने पर फ़क्र करते हैं। हमारा दिल उस शहीद की शहादत देखकर पसीज जाता है। हम उसे सिर-आंखों पर बिठा लेते हैं और फिर अगर कोई ऐसी घटना होती है जैसी वीर सिंह के साथ हुई तो हम सोचते हैं कि कोई इतना क्रूर कैसे हो सकता है? कोई इतना कैसे गिर सकता है कि भारत-भूमि की रक्षा करने वाले जवान के दाह-संस्कार के लिए दो गज ज़मीन न दे सके। वो भी तब जब वो ज़मीन किसी के बाप की जागीर नहीं थी, पब्लिक प़्रॉपर्टी थी। शहीद तो भारत मां का बेटा है, उसमें भी जाति ढूंढ ली। उसके बारे में भी लोग ऐसा सोचते हैं! लानत है!

ऐसी तमाम बातें और भावनाएं हमारे मन में आती हैं। अगर उनकी शहादत को हटाकर उनकी जीवनी देखें तो पायेंगे कि उनकी ज़िंदगी कहीं से भी अच्छी या प्रेरणादायी नहीं कही जा सकती। ये लोग जो सरहदों पर मरकर देश भर में जाने जाते हैं, इनका परिवार अंधेरे में जी रहा होता है। इनकी आधी ज़िंदगी डूब चुकी होती है नौकरी में फिर भी सिर पर कायदे की छत हो, ज़रूरी नहीं।

Veer2

शहीद वीर सिंह का परिवार करीब 500 स्क्वायर फुट में बने वन-रूम सेट में रहता है। इस तपती धूप में आप एसी में जीते हैं या एसी की ख्वाइश रखते हैं। उनके घर पर छत के नाम पर टिन शेड डला हुआ है। मतलब तपती धूप में जवान देश बचा रहा है और परिवार टिन की ताप झेल करा है क्योंकि छत बनवाने के पैसे नहीं हैं। उनकी बड़ी बेटी रजनी एमएससी कर रही है, बेटा रमनदीप बीएससी कर रहा है और छोटे बेटे संदीप ने अभी इंटर पास किया है। शायद कोई बीटेक और एमबीए भी करना चाहता होगा पर नहीं कर सका। बच्चे कहते हैं कि हम अपने घर की हालत जानते हैं।

गोरखपुर के 26वीं वाहिनी पीएसी में कभी एक कॉन्स्टेबल थे – राजकिशोर यादव नाम था। सन् 1999 की बात है। उनके दिल का वॉल्व खराब हो गया था। ऑपरेशन कराना था। पूरे पीएसी में हलचल मची थी। उस वक्त करीब एक लाख रुपये लग रहे थे, एक सिपाही के लिए मायने रखते थे। राजकिशोर के पास इतने पैसे थे जीपीएफ में, जीपीएफ वह राशि है जिसके लिए एक कर्मचारी हर महीने अपने वेतन से कुछ भुगतान करता है और लगभग उतना ही पैसा सरकार भी निवेश करती है। लोग इसे अपनी बिटिया के ब्याह के लिए या घर बनवाने के लिए या किसी बड़े काम के लिए ही निकालते हैं।

राजकिशोर ने दरख्वास्त की, अमूमन जीपीएफ से पैसे निकालने में 20 दिन लग जाते हैं। सरकारी बाबुओं की अपनी ढिलाई होती है। राजकिशोर के पास दिन कम ही थे, पर प्रशासन की ओर से कोई सख्ती नहीं हुई, कोई मदद नहीं मिली। काम वैसे ही होता रहा, सरकारी स्टाइल में। हर रोज़ फाइल आगे खिसकती और पड़ी रह जाती। वो आदमी बिस्तर पर पड़ा था, उसे पैसे चाहिए थे जो उसके खुद के थे। इंतज़ार चल रहा था। लोग चाहते थे कि जल्दी से जल्दी पैसे निकल जाएं। रोज़ उन्हें मिलने लोगों की भीड़ आती थी। वो उन्हें देखती और बेबस होकर चली जाती थी। दो महीने के इंतज़ार के बाद राजकिशोर हार गए, उनकी मौत हो गई। पैसे लेने के लिए मंत्री से परमिशन नहीं चाहिए थी, बटालियन के अंदर का ही काम था, फिर भी न हो पाया। उनके मरने के एक हफ्ते बाद घर में एक लाख रुपये आ गए।

Veer3

बारिश के दिनों में वहां के सरकारी मकान रीसते थे। लोग जगह-जगह बरतन रखते, इतना पानी निकलता था। कुछ घरों में मॉनसून आते ही किचन की छतों पर लोग पॉलिथीन डाल देते। कई बार बच्चे समय से स्कूल नहीं जा पाते थे क्योंकि किचन में पानी भर चुका है, बारिश रुकेगी तो खाना बनेगा। ये गोरखपुर का पुराना हाल है, अब थोड़ा बदल गया है।

इलाहाबाद में इससे भी बुरी स्थिति है। कभी इलाहाबाद शैक्षणिक स्थल के रूप में जाना जाता था। पीएसी के जवानों को जो क्वार्टर्स इलाहाबाद में मिलते हैं उनकी हालत जर्जर है। मकान देखकर लगता है कि सिंधु घाटी सभ्यता के दौर के हैं। आला अफसरों का मुआयना होता है तो उनकी रंगाई-पुताई हो जाती है। पुराने को नया दिखाया जाता है। यह हाल तब है जब उनकी मरम्मत के लिए हर दूसरे साल करोड़ों रुपये आते हैं। पानी यहां की समस्या है। बिजली गई तो पानी नहीं, बिजली हो तो भी पानी बहुत कम या बिल्कुल नहीं आता। महिलाएं मोहल्ले के हैंडपम्प से पानी भरते-भरते परेशान हैं। अभी 12 सबमर्सिबल आए हैं, तीन लगवाए गए और बाकी गायब।

Veer4

सरकारी बेबसी अलग है। ओब्रा (यूपी) के पीएसी के जवान एक बार एक आरोपी को पकड़ने की कोशिश में थे। बलखड़िया नाम है उसका। लाखों का इनाम है उसके सिर पर। वो यूपी-एमपी बॉर्डर के पास छिपा था। दोनों राज्यों की पुलिस उसे घेरे हुए थी। दो दिनों तक दोनों तरफ से गोलीबारी भी हुई। उसे पता चल चुका था कि अब वो नहीं बचेगा। मुलायम सिंह यादव को फोन घुमाया, काम हो गया। पुलिस को वहां से हटा लिया गया। सभी जवान मुलायम को कोस रहे थे। इतनी मेहनत बेकार हो गई। जवानों के मेहनत की भी तबतक कोई कद्र नहीं है जबतक उनकी जान न चली जाए। असल में उन्हें आपका हीरो बनने के लिए मरना ही पड़ता है।

सीआरपीएफ के जवान अपने घर आते हैं, साल के 1-2 महीने गुज़ारने। उतने में क्या कायापलट कर दें। तन्ख्वाह भी बस इतनी है कि काम चल रहा है। हीरो बनने लायक कुछ भी नहीं होता। हम सभी बाहर से देखते हैं उन्हें, वो भी तब जब वो शहीद हो जाएं। उसके बाद हम उन्हें महानतम स्थान पर पहुंचा देना चाहते हैं। ये वो जवान हैं जो जानते हैं कि उनके पास बेटे को प्रोफेशनल कोर्स कराने के लिए पैसे नहीं हैं फिर भी तैनात रहते हैं। ये जानते हैं कि जो सरकारी मकान इन्हें मिला है वो बारिश में बहने लायक हो गया है। इनकी नौकरी में प्रमोशन भी 20 साल ले लेता है, आप नई नौकरी करने जाते हैं तो 25 हज़ार पकड़ा दिए जाते हैं। इन्हें अपने 18 हज़ार को 25 हज़ार बनाने में सालों लग जाते हैं।

इन सबके बावजूद वो चले जाते हैं शहीद होने। इससे ज्यादा सहिष्णु हुआ नहीं जा सकता। इतनी कम कमाई में, इतनी मजबूरियों के बावजूद उन्हें समाज का सुपरमैन बनना पड़ता है।

The post ‘शहादत’ का चश्मा हटाकर देखिए तो बहुत बेबस होते हैं हमारे जवान appeared first on Firkee.

भारती वीरत! तुम्हारे मरने का तरीका आत्महत्या नहीं होना था

$
0
0

भारती वीरत, दो साल पहले तुम अखबारों के पहले पन्ने पर छायी थी। बंगलुरू की पहली महिला कैब ड्राइवर, ये तुम्हारी पहचान थी। तुमने अलग रास्ता चुना, महिलाओं को बताया कि अगर वो कॉरपोरेट जॉब को छोड़कर कुछ करना चाहती हैं तो सिर्फ़ ब्यूटी पार्लर और बुटीक ही उनका विकल्प नहीं हैं। वो आगे भी पैर पसार सकती हैं।

आज तुम्हारा मृत शरीर पुलिस को मिला। बताया जा रहा है कि सीलिंग फैन पर टंगी हुई तुम्हारी लाश तुम्हारे मकान मालिक ने देखी थी। सब कह रहे हैं कि तुमने आत्महत्या कर ली। कोई सुसाइड नोट नहीं मिला, पता नहीं ये कितना सही है। पर तुम परेशान थी। बंगलुरू छोड़ कर वापस आंध्रा जाना चाहती थी। ये काम छोड़ना चाहती थी। कुछ वजहें रही होंगी। बहुत परेशान थी तुम। परेशानी के सबब में मरना सीख गयी या मरने को तैयार हो गयी।

Bharti2

अगर ये तुम्हारी आत्महत्या है तो तुम अकेली नहीं मरी भारती। कई और लड़कियां तुम्हारे साथ ही मर गईं जिन्होंने ऑफ बीट जॉब के बारे में सोचना शुरू कर दिया होगा। अब अगर वो कहेंगी कि हमें भी वो काम करने हैं जो लड़के करते हैं, हम भी आधी रात को खुली सड़कें नापना चाहती हैं तो उनके मां-बाप तुम्हारे हश्र का उदाहरण देकर उनका मुंह बंद कर देंगे।

तुमने मरसेडीज़ खरीदने का सपना बुना था। तुम शादी करना चाहती थी। सब धरा रह गया। तुम अलग तरह के लोगों की सूची बना रही थी, जिसमें खुद शामिल थी। हो सकता है आगे और भी लड़कियां शामिल होतीं। पर तुम मर गई भारती। तुम उसी पुराने घिसे-पिटे ढर्रे वाली सूची में आ गयी जिसमें कई मरे हुए नाम शामिल हैं।

Bharti3

भारती एक मिसाल थी, पर अब वो एक गुमनाम शख्स बन जाएगी। अब लोगों को भारती बंगलुरू की पहली महिला कैब ड्राइवर बनकर नहीं याद आएगी। अब लोग कहेंगे – कौन भारती? वो जो गाड़ी चलाती थी और सुसाइड कर ली?

तुम्हारी सारी मेहनत, लगन और संकल्प.. सब पीछे छूट गया। तुम अकेली गयी हो, सिर्फ अपनी आत्महत्या के साथ। उसी पुरानी लिस्ट में गुमनाम होने के लिए। कितनी विवश हुई होगी जो ये कदम उठाना पड़ा, क्या मरना आसान होता है? होता होगा, पर तुमने मरने से पहले जो किया था उसके बाद तुम्हारा मरना और अजीब हो गया है। कोई इतना ऊपर उठकर भी, इतना मज़बूत बनकर भी अचानक से टूट सकता है!

तुम्हें परेशान होकर चीखना चाहिए था, चिल्लाना चाहिए था, लड़ना चाहिए था। ये सोचना चाहिए था कि मरने के बाद भी परेशानी वहीं रहेगी, तुम भाग रही हो.. पर तुम मर गई। मेरी ये सारी बातें अभी नैतिक ज्ञान लग सकती हैं पर तुम्हारा यूं मरना कहीं से भी वाज़िब नहीं है। मुझे एहसास है कि खुद को खत्म करना कितना मुश्किल है। कितना दुखदायी है खुद से ही खुद की आखिरी सांसें गिनना।  मुझे अंदाज़ा है कि तुम किस कदर टूटी होगी जब तुमने ये रास्ता चुना होगा। तुमने खुद को कितना बिखरा हुआ पाया होगा, फिर भी मैं तुम्हारे इस चुनाव से हताश हूं। ज़िंदगी के बाद ऐसा कुछ भी नहीं मिलता जिसके लिए इसे ठुकरा दिया जाए। मुझे अफसोस है तुम्हारी उस मानसिक स्थिति पर जब तुम्हें कोई भी काम मरने से अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं लगा।

Bharti4

भारती को ऐसे नहीं मरना था। पंखे से लटकना भारती का तरीका नहीं होना चाहिए था। तुम आधी रात को कैब के एक्सीडेंट में मारी जाती। किसी लड़की को घर छोड़ते वक्त तुम्हें कुछ हो जाता। तुम अपनी आने वाली मर्सेडीज़ लेकर किसी एडवेंचरस स्पॉट पर दम तोड़ देती.. ये सारे तरीके हो सकते थे। और भी बहुत कुछ है, पर आत्महत्या वाला तरीका भारती पर सूट नहीं करता।

मुझे इंतज़ार है उस दिन का जब किसी भी हताश और निराश लड़की की सूची में आत्महत्या का विकल्प अंतिम से भी नीचे होगा। वो परेशान होकर शहर छोड़ेगी, काम छोड़ेगी पर जीना याद रखेगी।

The post भारती वीरत! तुम्हारे मरने का तरीका आत्महत्या नहीं होना था appeared first on Firkee.

देखें लड़कियां किस तरह ऑफिस पहुंचती हैं!

$
0
0

हर रोज़ ऑफिस जाना आसान थोड़ी है। वो भी लड़कियों के लिए? बिल्कुल नहीं! सुबह उठना, फिर प्लान करना कि ऑफिस जाना है और फिर लेट होने लगना। उफ़्फ़.. पर करें भी तो क्या। ऑफिस के लिए निकलने से पहले इतना ताम-झाम होता है और फिर पहुंचते-पहुंचते ऐसी हालत कि देखकर लगता है बिना नहाए ही चले आए। आइए देखते हैं लड़कियां किस तरह ऑफिस पहुंचती हैं।

  1. उफ़्फ़! साढ़े सात बज चुके हैं और अभी तक मैंने यही डिसाइड नहीं किया कि पहनना क्या है। आधे घंटे में ऑफिस के लिए नहीं निकली तो WATT लगा देगा वो खडूस बॉस।
  2. GIF1ज़रा देखूं तो कैसी लग रही हूं। ओह WOW!!! आज तो ऑफिस में भूचाल आने वाला है। 😉
  3. 2ये लो! काजल और लिपस्टिक भी डन! अब इससे पहले कि लेट हो जाओ, निकल लो Sweetheart!
  4. 3मेट्रो की धक्का-मुक्की के बाद तो दिमाग ही खराब हो जाता है। बाल खराब हो गये यार.. Huh! :-/
  5. GIF4..अभी ऑटो वाले के नखरे झेलना बाकी है। पाउडर-क्रीम सब तो भीड़ में साफ हो गया। पता नहीं कैसी लग रही होऊंगी। 🙁
  6. GIF5लो, पहुंच गई ऑफिस। शक्ल देख लो!GIF6

The post देखें लड़कियां किस तरह ऑफिस पहुंचती हैं! appeared first on Firkee.

सुब्रमण्यम बिगड़े मीडिया पर, कहा –पब्लिसिटी खुद मेरे पास आती है

$
0
0

हमारे प्रधानमंत्री ने पहली बार एक प्राइवेट चैनल को इंटरव्यू दिया तो उसकी चर्चा क्यों न होती। वैसे भी प्रधानमंत्री जी की हर घटना खबर बन जाती है। उसी इंटरव्यू में उनसे सुब्रमण्यम स्वामी के बारे में कुछ कहा गया जिससे उन्होंने किनारा करते हुए कहा कि – ये अपने प्रचार-प्रसार के पैंतरे हैं। पार्टी का इससे कोई लेना-देना नहीं है।

मोदी ने सीधे-सीधे स्वामी पर निशाना नहीं साधा पर सब जानते हैं कि ये उनके लिए ही था। अब अपने स्वामी जी भी कम इंटेलिजेंट तो हैं नहीं। उन्हें टिप्पणी करने का बड़ा शौक है। मीडिया की भी खूब खाल उधेड़ते हैं। हमारे ऊपर ‘प्रेस्टिट्यूट्स” नाम का जो टैग लगा है उसमें स्वामी जी का खूब योगदान है। उन्हें पता चल गया कि मीडिया को मोदी जी ने मौका दे दिया है। अब मीडिया नहीं मानेगी, उनकी क्लास लेगी। न भी ले तो उनसे फिर से कुछ ऐसा उगलवा लेगी कि उन्हें पछताना पड़े। पर इस बार सुब्रमण्यम स्वामी संभले, वो मोदी पर नहीं बिगड़े। एक कदम पीछे गए और फिर मीडिया को लपेटा। हालांकि इस लपेट में ही मेदी जी को भी जवाब दे दिया है।

SS1

सर जी कहते हैं कि वो पब्लिसिटी स्टंट के लिए कुछ नहीं करते, पब्लिसिटी खुद इनके पीछे घूमती है। 200 फोन कॉल्स और मीडिया के 30 OVs उनके घर के बाहर दरबान बनकर खड़े हैं। इस तरह सर जी ने जवाब भी दे दिया और मोदी को कुछ कहा भी नहीं। हां, एक काम और हुआ। मीडिया की खूब खिंचाई कर दी सर ने।

कहा कि ये प्रेस्टिट्यूट्स जो हैं, वो मुझे उकसाते रहते हैं और चाहते हैं कि मैं कुछ न कुछ ऐसा बोल दूं कि इन्हें मौका मिल जाए। ये झूठी कहानियां बनाते रहते हैं और मुझसे उसपर जवाब पाने की उम्मीद करते हैं। (सर जी, हम उम्मीद न भी करें तो आप मानते हैं क्या? कुछ न कुछ बोल ही देते हैं.. Oops! Sorry!)

सर जी ने मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि – मैंने पहले भी कहा है और आज भी कह रहा हूं कि चाहें कितनी भी आफतें टूटें मैं मोदी के साथ हूं। मैं उनके हौसले की दाद देता हूं। कोई विदेशी ताकत उन्हें झुका नहीं सकती।

सर जी, हमें आपके बारे में भी ऐसा ही लगता था। पर आप झुक गए (ओह! फिर से सॉरी)

The post सुब्रमण्यम बिगड़े मीडिया पर, कहा – पब्लिसिटी खुद मेरे पास आती है appeared first on Firkee.

अक्षय की फिल्म आ रही है –‘रुस्तम’, ट्रेलर और किस्सा यहां है

$
0
0

हमारे बॉलीवुड में सबसे फिट स्टार कोई है तो वो हैं खिलाड़ी कुमार। फिल्म ‘रुस्तम’ में एक नेवी ऑफिसर की युनिफॉर्म में क्या गज़ब लग रहे हैं अक्षय! अब हमें ये कैसे पता, तो आपको बता दें भैया कि फिल्म रुस्तम का पहला ट्रेलर रिलीज़ हो गया है।

फिल्म में अक्षय एक नेवी ऑफिसर के रोल में हैं। दरअसल ये फिल्म एक नेवी कमांडर की लाइफ पर बेस्ड है। कमांडर का नाम है कवस मानेकशॉ नानावटी। एक दुरुस्त और गठीले बदन के साथ सुर्ख आंखों वाला बहादुर और जज़्बाती ऑफिसर।

नानावटी पर पहले भी कई फिल्में बन चुकी हैं, जैसे – ‘अचानक’ और ‘ये रास्ते हैं प्यार के’। नानावटी एक ऐसे शख्स हैं जिनके कभी खूब फैन्स हुआ करते थे। लोग इनकी बहादुरी और इनके प्यार पर कुर्बान थे। लड़कियां इनकी एक झलक की दीवानी थीं। एक बार नानावटी अपनी छः महीने की ड्यूटी पूरी कर के घर आए। खूबसूरत पत्नी और तीन बच्चों के साथ अच्छा वक्त बिताने। उन्होंने कुछ अलगाव महसूस किया और फिर जान गए कि उनकी बीवी को प्यार हो गया है, किसी और से।

Rustom1

वो आदमी था बॉम्बे का अय्याश बिज़नेसमैन प्रेम आहुजा। नानावटी ने बीवी और बच्चों के लिए सिनेमा का टिकट लिया और उन्हें फिल्म दिखाने ले गये। खुद वहां से निकलकर नेवल हेडक्वार्टर गये, रिवाल्वर इश्यू करवाया और सीधा पहुंचे जीवन ज्योति बिल्डिंग, प्रेम आहुआ के अपार्टमेंट। थोड़ी देर तक माहौल शांत रहता है और फिर गोलियों की आवाज़ आती है। उन्होंने प्रेम आहुजा को गोली मार दी। सीढ़ियों से उतरते वक्त उन्हें नौकर और आहुजा की बहन देख लेते हैं। वो कहते हैं कि मैं सरेंडर करने जा रहा हूं।

किस्सा बहुत लंबा है। ये सन् 1959 और उसके बाद के कई सालों का सबसे दिलचस्प किस्सा था जिसमें नेहरु की भी खूब रुचि थी। नानावटी ने बताया कि वो प्रेम आहुजा के पास प्रस्ताव रखने गए थे कि वो सेल्विया (नानावटी की पत्नी) से शादी कर ले पर उसने बहस शुरू कर दी। विटनेस बॉक्स में उसने जो बयां दिया वो ये है –

“मैंने प्रेम आहूजा को इरादतन नहीं मारा। हां मैं प्रेम आहूजा के पास गया था ताकि उससे पूछ सकूं कि क्या वो मेरी पत्नी सेल्विया से शादी करेगा। और मेरे बच्चों का ख्याल रखेगा, क्योंकि मेरी वाइफ सेल्विया को उससे प्यार हो गया था। लेकिन प्रेम आहूजा ने बात करने की बजाय झगड़ना शुरू कर दिया। उसने मेरे सवालों के जवाब में कहा, “क्या मैं हर उस औरत से शादी कर लूं, जिनके साथ मैं बिस्तर पर सोया हूं? गेट आउट फ्रॉम हेयर।” इसके बाद हम दोनों में झड़प हो गई। दोनों की झड़प में रिवॉल्वर लिफाफे समेत नीचे गिर गई। मैंने रिवॉल्वर उठाई तो प्रेम मुझसे छीना-झपटी करने लगा, इसी झड़प के दौरान दो गोलियां चली। अगर मैं सच में प्रेम आहूजा को मारना चाहता तो मैं उसे तब ही गोलियों से छलनी कर देता, जब वो ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ा था।”

Rustom2

उनकी फैन फॉलोइंग ऐसे बढ़ी कि लोग उनके माफीनामे के लिए अपील करने लगे। उस वक्त के जर्नल ‘Blitz’ ने इसे कवर करते हुए खूब लोकप्रियता बटोरी थी। ‘द न्यूज़ यॉकर’ लिखता है कि केस की सुनवायी के वक्त कोर्ट की गैलरी में लड़कियां ऐसे सज-संवर कर खड़ी होती थीं जैसे ओपेरा जा रही हों।

केस के आखिरी पड़ाव में आहुजा की बहन भी माफीनामे की गुज़ारिश करने वाले लोगों में शामिल हो गईं।

फिल्म में अक्षय नानावटी की भूमिका में हैं और सेल्विया का किरदार निभा रही हैं इलियाना डी क्रूज़। अर्जन बाजवा के हिस्से प्रेम आहुजा का रोल आया है और एशा गुप्ता, आहुजा की बहन बनकर सिल्वर स्क्रीन पर वापसी कर रही हैं। टीनू सुरेश देसाई इस फिल्म का निर्देशन कर रहे हैं।

फिल्म को 1950s का लुक देने की पूरी कोशिश की गई है। ड्रेसिंग सेंस से लेकर हेयर स्टाइल तक उसी ज़माने के हैं। बता दें कि फिल्म 12 अगस्त को रिलीज़ हो रही है। जश्न-ए-आज़ादी के मौके को खूब भुनाया जाना है। आपको याद होगा कि आशुतोष गोवारिकर की फिल्म ‘मोहनजोदड़ो’ भी इसी हफ्ते रिलीज़ होने वाली है जिसमें ऋतिक नया अंदाज बिखेरने वाले हैं। अब देखना ये है कि इतिहास की कौन-सी फिल्म लोगों को ज्यादा दीवाना बनाती है।

 

The post अक्षय की फिल्म आ रही है – ‘रुस्तम’, ट्रेलर और किस्सा यहां है appeared first on Firkee.

इरफान खान! ये इंडिया है और यहां धर्म के नाम पर सबकुछ चलेगा

$
0
0

एक बहुत ही ज़बरदस्त स्टार है अपने इंडिया के पास। किसी बड़े बाप का बेटा नहीं, अपनी मेहनत के बूते पर बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक छाया हुआ है। कायदे से किसी भारतीय अभिनेता ने हॉलीवुड में धूम मचाया है तो वो सिर्फ़ इसने – इरफान खान। उस देश में जहां लोगों के पसंदीदा हीरो-हीरोइन पहले खूबसूरत होने चाहिए ऐक्टिंग बाद में देखी जाती है, इरफान खान की ज़बरदस्त ऐक्टिंग बोलती है।

उनकी ज़बान से निकला एक-एक लफ़्ज़, उन लफ्ज़ों के बीच की गर्माहट और उसके बाद का ठहराव.. सब लाजवाब है। इरफान साधारण बात को भी अलग अंदाज़ में कहते हैं। उनकी चुप्पी भी बोलती है। आज इसी इरफान पर एक खबर आ रही है। खबर ये है कि इन्होंने धर्म पर कुछ बोला है। हमारे यहां ऐसा सिस्टम चल रहा है कि आप धर्म पर कुछ भी न ही बोलें तो बेहतर है क्योंकि धर्म पर आप कुछ भी बोलें, कितना भी सही बोलें, वो अपने आप गलत हो जाता है। इंडिया में फॉग नहीं सिर्फ़ धर्म चलता है।

Irrfan2

इरफान जैसे व्यक्ति को भी नहीं बख़्शा गया। हालांकि उन्होंने जो बाते कहीं वो शत् प्रतिशत सही हैं पर बात धर्म पर हुई इसलिए वो बात होनी ही नहीं चाहिए थी। कितने ही लोग मेरा यह लेख पढ़कर कहेंगे कि मुझे भी ये बात नहीं लिखनी चाहिए थी क्योंकि बात धर्म की है। ख़ैर, इरफान की फिल्म आने वाली है ‘मदारी’ (देखिएगा, क्योंकि वो फिल्मों के नाम पर कचरा परोसने में भाग नहीं लेते)। उसी फिल्म के प्रमोशन के दौरान उन्होंने बकरीद पर कहा कि, “कुर्बानी का मतलब अपनी कोई अजीज़ चीज़ कुर्बान करना होता है। ये नहीं कि बाज़ार से आप कोई दो बकरे खरीद लाए और उनको कुर्बान कर दिया।”  

होता भी यही है, आप देखें तो पाएंगे कि बकरीद के दौरान किसके घर कितने बकरे कटे इसकी प्रतिस्पर्धा चलती है। त्यौहार की शुरूआत तो मोहम्मद स्माइल से हुई थी न, जिसमें उनकी जगह बकरा आ गया था। मतलब तो यही है कि अपनी कोई अजीज़ चीज़ कुर्बान करें, पर वो नहीं होता है। उस भाव के साथ भी कुर्बानी नहीं होती है।

दूसरी बात जो इरफान ने कही वो ये कि रोज़े का मतलब सिर्फ़ भूखे रहना नहीं होता है, इसका मतलब है आत्मचिंतन करना। मुहर्रम में दुःख मनाया जाता है पर लोगों ने उसे सर्कस बना दिया है। उन्होंने मुसलमानों से कहा कि इस्लाम के नाम पर दहशतगर्दी के खिलाफ़ आवाज़ क्यों नहीं उठाते।

Irrfan1

अब बात बस इतनी-सी है कि इरफान की आदत है खरी-खरी कहने की। ऐसी बातें सबसे हज़म नहीं होतीं। खुद इस्लाम मानने वाले भी जानते हैं कि इरफान ने सब सही कहा है पर उन्होंने पब्लिकली ऐसा कह दिया इसपर तमाशा हो रहा है। लोगों को लगता है कि ये धर्म की तौहीन है। ऐसा इसी धर्म के साथ नहीं, सबके साथ होता है। कमियां हज़ारों हैं और सभी जानते हैं। पर अगर किसी ने कह दिया तो वो धर्म की तौहीन या बुराई मानी जाएगी।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कहा है कि, “इरफान एक्टर हैं, एक्टिंग करें। धर्म के बारे में न बोलें (उसपर बोलने का ठेका सिर्फ़ इन्होंने लिया है)। यहीं के सचिव ने कहा है कि इरफान ऐसा पब्लिसिटी के लिए कर रहे हैं। अब उन्हें कौन समझाए कि पब्लिसिटी इरफान के पीछे भी दौड़ती है। (“भी” इसलिए कहा क्योंकि सुब्रमण्यम स्वामी ने खुद बताया कि पब्लिसिटी उनके पीछे दौड़ती है)

The post इरफान खान! ये इंडिया है और यहां धर्म के नाम पर सबकुछ चलेगा appeared first on Firkee.


डीयू का कट-ऑफ आ गया, तुम्हारा भी लोल हो गया न!

$
0
0

बच्चे मेहनत करते हैं। खूब पढ़ाई करते हैं। कुछ के मां-बाप उनकी मेहनत से भी ज्यादा उनकी तारीफ करते हैं और कुछ पैरेंट्स को लगता है कि मेरा बचवा तो पढ़ता-लिखता ही नहीं है, भले बच्चा किताब में डूबकर मरने वाला हो। फिर आता है रिज़ल्ट और उसके बाद डीयू का पहला कट-ऑफ और सब ठंडा हो जाता है। तो देखिए क्या होता है बोर्ड एग्ज़ाम से लेकर कॉलेज एडमिशन तक में।

अभी मैं पढ़ाई कर रही हूं। कोई डिस्टर्ब नहीं करेगा।

GIF1

अरे बोर्ड एग्ज़ाम्स हैं यार, इस बार भी टॉप करना है मुझे।

GIF2

जो लोग एक्स्ट्रा एफर्ट लगाते हैं वो एग्ज़ाम वाले दिन नर्वस नहीं होते। देखो कितनी खुश हूं मैं। आज पहला पेपर है डियर.. ऑल द बेस्ट!

GIFExam

देखो तो एग्ज़ाम्स में क्या हाल बना रखा है। न खाना है न सोना है। बावली हो गई हूं न मॉम।

GIF4

फाइनली, ये बोर्ड एग्ज़ाम ओवर। थैंक गॉड!

GIF5

लो रिज़ल्ट आ गया। 96% OMG!!! मैंने स्कूल टॉप किया..

GIF6

D.U. का पहला कट-ऑफ आ गया। MUMMY!!! 🙁

GIF7

 

The post डीयू का कट-ऑफ आ गया, तुम्हारा भी लोल हो गया न! appeared first on Firkee.

Cassie के पापा ने ऐसे समझाया, जैसे आपके पापा कभी नहीं समझाएंगे

$
0
0

हमारे यहां एक रिवाज़ है, रिवाज़ न भी हो तो आदत है कि बच्चों को बचपन से लेकर टीनेज तक नसीहतों से लाद दो। लड़की ठीक से बड़ी हुई नहीं कि उसे घर के सभी लोग सिखाने लगते हैं कि किसके साथ खेलना है, किससे बात करनी है, किसे इग्नोर करना है और किसकी बात चुपचाप सुन लेना है। और बड़ी हुई तो उसके कपड़े फिल्टर किए जाते हैं। ये पहनकर बाहर जाओगी? घर में मेहमान आए हुए हैं, थोड़े ढंग के कपड़े पहन लो। ये ड्रेस थोड़ी अजीब नहीं है? तुम्हें कहा था न कि ऐसे कपड़े वहां नहीं चलेंगे ब्ला-ब्ला-ब्ला। कई तरह की बातें होती हैं।

उसे इतनी नसीहतें मिलती हैं कि वो इन सबसे उब जाती है और मौका मिलते ही ऐसे पिंजरे से निकलना चाहती है। ख़ैर, लड़की ऐसा करे न करे, कैरेक्टर सर्टिफिकेट देने वाले हमेशा तैयार बैठे रहते हैं।

Cassie1

Cassie एक लड़की है वॉशिंगटन की। उसने अपनी कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कीं। कुछ उसके पापा को थोड़ी अजीब लगीं। आपके पापा वो तस्वीरें देखते तो क्या करते? आपको पता चल जाता कि पापा ने उस तरह की pics देख ली हैं तो आप क्या करतीं? आपको लगता न कि आज तो WATT लग गई। आप सोचतीं कि कोई भी पापा के गुस्से से बचा लेता। ये सब इसलिए क्योंकि आपको अपने पापा का रिएक्शन पता है। आपको पता है कि वो नाराज़ ही होंगे। Cassie के पापा Burr Martin ने अलग तरीका अपनाया। उन्होंने सीधे कुछ न कहकर अपनी बेटी को कॉपी करना शुरू किया और सोशल मीडिया पर तस्वीरें पोस्ट कर दीं। वो अपनी बेटी की तस्वीरों पर आ रहे भद्दे कमेंट्स से परेशान थे।

उन्होंने गुस्सा नहीं किया। वो चिल्लाए नहीं। शायद उन्हें पता था कि चिल्लाने से बच्चा डर जाएगा और वो काम नहीं करेगा पर उसे ये काम क्यों नहीं करना है ये बात समझ नहीं आएगी। उन्होंने Cassie को कॉपी कर के उसे embarrass कर दिया।

Cassie2

मुझे इंतज़ार है उस दिन का जब हिंदुस्तान के सारे पापा इतने समझदार हो जाएं और ये समझ सकें कि कठोर बनने से ख़ौफ़ तो बढ़ जाएगा, बच्चे डरेंगे भी पर प्यार खत्म होता चला जाएगा। जब हमारे घरों में सुझाव दिया जाएगा, थोपा नहीं जाएगा। जब हमारे परिवार से ज्यादा हमें अपना करियर चुनने की आज़ादी होगी और हर लड़के को ज़बरदस्ती बी.टेक. इसलिए न कराया जाएगा कि लड़का है तो इंजीनियर से कम क्या बनेगा। जब लड़की को यह समझाना बंद कर दिया जाएगा कि तुम बैंक या टीचिंग जैसी जॉब करना, शाम के 4 बजे तक घर आ जाओगी और चैन की ज़िंदगी जियोगी।

हमारे घरवालों को जब ये लगने लगेगा कि हमारा हर फैसला बचपना नहीं होता। जब घर की तमाम बातें सभी घरवालों के सामने हो सकेंगी और मां को बेटी की सहेली सिर्फ़ इसलिए नहीं बनना पड़ेगा कि वो उसे यौवन-ज्ञान दे सकें। बहुत कुछ बदलेगा जिस दिन पापा बदलने लगेंगे।

The post Cassie के पापा ने ऐसे समझाया, जैसे आपके पापा कभी नहीं समझाएंगे appeared first on Firkee.

कपिल शर्मा ने दिया ‘Angrezipanti’को सही जवाब

$
0
0

कपिल शर्मा को तो आप भी जानते ही होंगे। अरे वही कॉमेडी शो वाले शर्मा जी। वो देश के ज़बरदस्त स्टैंडअप कॉमेडियन माने जाते हैं। देखा है कैसे खड़े-खड़े अच्छे-अच्छों की फिरकी ले लेते हैं? कपिल जब मुंबई आए थे तो उनका सपना था सिंगर यानी गायक बनना। आज भी अगर आप ने कपिल को अपने शो में गाते हुए सुना होगा तो आपको लगता होगा कि इन्हें तो सिंगर बनना चाहिए था। ख़ैर, किसी सिंगर से कम लोकप्रिय नहीं हैं अपने शर्मा जी।

एक बात और, कपिल की अंग्रेज़ी शायद उतनी अच्छी नहीं होगी पर इस बात का वो खुद ही मज़ाक बनाते रहते हैं। माइक्रोमैक्स के ब्रांड ऐम्बैसेडर ने एक छोटे-से विज्ञापन के ज़रिए उन तमाम लोगों को तमाचा मारा है जो अंग्रेज़ी को ही पढ़े-लिखे होने की निशानी समझते हैं। वो लोग जो हिंदी के नाम पर नाक-मुंह सिकोड़ने लगते हैं। उन्होंने बताया है कि हूनर की कोई भाषा नहीं होती..

दिमाग की बत्ती जली न! अब जलाकर रखना..

The post कपिल शर्मा ने दिया ‘Angrezipanti’ को सही जवाब appeared first on Firkee.

Infosys की इंजीनियर स्वाति का कातिल पकड़ा गया

$
0
0

पिछले शुक्रवार की बात है जब चेन्नई के नुंगमबक्कम रेलवे स्टेशन पर सुबह 6 बजे के करीब एक मर्डर हुआ था। 24 वर्षीय स्वाति हर रोज़ की तरह ऑफिस के लिए निकली थी और स्टेशन के प्लैटफॉर्म नम्बर 2 पर अपनी ट्रेन का इंतज़ार कर रही थी।

मात्र 3 मिनट में पूरी घटना को अंजाम दे दिया गया और प्लैटफॉर्म परिसर उनके खून से भर गया। उस दिन स्वाति लोकल ट्रेन के लेडीज़ कोच वाले हिस्से के सामने प्लैटफॉर्म पर खड़ी होकर इंतज़ार कर रही थी। ऐसी ट्रेनों में हर रोज़ आने-जाने वाले लोग होते हैं इसलिए अमूमन वो एक-दूसरे को जानते भी हैं। स्वाति के कत्ल के भी कई चश्मदीद बने। दो लोगों ने कातिल को दौड़ाकर पकड़ने की कोशिश भी की पर वो प्लैटफॉर्म क्रॉस करता हुआ भाग गया।

Swati1

सुबह के वक्त स्टेशन पर भी शांति होती है। जब अचानक से किसी हंसुए से शरीर पर प्रहार करने की आवाज़ आई और उसके ठीक बाद स्वाति के चीखने की आवाज़ आई तो लोग उसकी तरफ मुड़े। इसके पहले कि वो कुछ समझ पाते, स्वाति ज़मीन पर गिर पड़ी और उसका कातिल फरार हो गया। कातिल ने हंसुए से स्वाति के गर्दन पर मारा था। वो 1 मिनट के लिए छटपटायी, उसके हाथ-पांव ज़मीन पर हिल रहे थे और वो मर गई। अगर वो ज़िंदा होती तो शायद उसे बचाने की कोशिश की जाती पर वह मर गई इसलिए सबने ट्रेन पकड़ ली और उसकी लाश से रीसता हुआ खून प्लैटफॉर्म पर फैलने लगा।

स्वाति की मौत के चश्मदीद बने एक शिक्षक ने कहा कि रोज़ाना उसी ट्रेन से आने-जाने के कारण वे लोग स्वाति को जानते थे। एक दिन और ऐसा ही कुछ हुआ था जब स्वाति के करीब एक आदमी आया, उसने पल भर में ही उसे कई थप्पड़ मार दिए और चला गया। स्वाति ने इसपर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की थी और इसलिए सभी लोग अचंभित भी थे कि उसने ऐसा क्यों किया। पर वो थप्पड़ मारने वाला आदमी दूसरा था और उसका कत्ल करने वाला दूसरा। उन दोनों ने ही जितने करीब से आकर ये काम किए उससे लगता था कि स्वाति दोनों को जानती थी।

अगर उसने पहले ही सावधानी बरती होती तो शायद प्लैटफॉर्म से ऑफिस पहुंच सकी होती।

Swati2

ख़ैर, उसका कातिल पकड़ा गया। स्वाति के घर और रेलवे स्टेशन के बीच में राम कुमार का घर है। 22 वर्ष का राम कुमार इंजीनियरिंग ग्रेजुएट है। इन दोनों के बीच ऐसा क्या हुआ था जिसकी वजह से राम कुमार ने इतना बड़ा कदम उठाया इसका पता लगाया जाना अभी बाकी है पर रामकुमार के कारनामों ने इतना बता दिया है कि ये कहानी लम्बी चलने वाली है। जैसे ही उसे पता चला कि पुलिस ने उसे घेर लिया है उसने अपना गला काटने की कोशिश की और इसमें काफी हद तक सफल भी रहा।

डॉक्टर्स उसकी इंजरी को 60% बता रहे हैं फिलहाल वो मेडिकल हॉस्पिटल में भर्ती है। उसकी शारीरिक और मानसिक हालत अस्थिर बतायी जा रही है। राम कुमार चूलाईमेड़ू की एक हवेली में पिछले तीन महीनों से रह रहा था। यह हवेली स्वाति के घर और स्टेशन के बीच में है।

ऐसी बहुत-सी घटनाएं हमारे आस-पास घटती रहती हैं। वो घटनाएं जिन्हें हम शुरुआती स्तर पर नज़रंदाज़ कर देते हैं और बाद में वो भयावह साबित होती हैं। स्वाति की ज़िंदगी में कुछ खलबली पहले से रही होगी नहीं तो वो बोल्ड लड़की चुपचाप थप्पड़ नहीं खा लेती पर शायद उसने उसे गंभीरता से नहीं लिया। राम कुमार के ठीक होने पर ही पता चलेगा कि माजरा क्या है। ख़ैर, किस्सा कुछ भी हो, मौत किसी चीज़ की सज़ा नहीं होती।

The post Infosys की इंजीनियर स्वाति का कातिल पकड़ा गया appeared first on Firkee.

बेबो प्रेग्नेंट हैं!!! आने वाले हैं छोटे नवाब

$
0
0

सैफीना ने जब शादी की थी उसके कुछ समय बाद से ही करीना से बात करते वक्त लोग उनके पेट की ओर ज्यादा देखते थे। करीना ने खुद ही कहा था कि मीडिया से कोई इंटरव्यू लेने आता है तो निगाहें मेरे चेहरे से ज्यादा मेरे पेट की ओर जमी रहतीं हैं। एक बार तो बेबो ने परेशान होकर ये भी कह दिया कि हो सकता है वो कोई बच्चा पैदा ही न करें। शादी के बाद बच्चा वाला कॉन्सेप्ट उन्हें बहुत खास पसंद नहीं था। इसलिए लोग उनके पेट को देखना और मापना बंद करें।

Kareena1

ख़ैर खबर ये है कि अपनी बेबो प्रेग्नेंट हैं और सैफ़ मियां ने इस बात पर हामी भी भर दी है। सैफ़ ने इस बार ऑफिशियली अनाउंस कर दिया है कि करीना प्रेग्नेंट हैं। मतलब ख़बर पक्की है यार! सैफ़ और करीना इस साल दिसम्बर में अपना पहला बच्चा एक्सपेक्ट कर रहे हैं। ऐसे तो हमेशा स्लिम-ट्रिम रहने वाली बेबो की हेल्थ में थोड़ा फ़र्क कुछ वक्त पहले से ही नज़र आ रहा था पर जब बात पक्की हो गई है तो फैंस करीना को उनके क्यूट बल्ज के साथ ऑफिशियली देखने को बेताब हैं।

Kareena2

अब देखते हैं करीना इस पर अपने फैंस से क्या कहती हैं और वो इसे लेकर कितनी एक्साइटेड हैं। हाल ही में अपने एक इंटरव्यू में प्रेग्नेंसी पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने हंसते हुए कहा था कि – आपलोग ऐसा बार-बार पूछते हैं तो मैं भी एक्साइटेड हो जाती हूं।

छोटे नवाब आएं या प्यारी-सी परी, हमें तो दोनों का बेसब्री से इंतज़ार है। सैफीना को हमारी ओर से बहुत-बहुत शुभकामनाएं!

 

The post बेबो प्रेग्नेंट हैं!!! आने वाले हैं छोटे नवाब appeared first on Firkee.

फ़र्ज़ी यूनिवर्सिटीज़ की लिस्ट में यूपी है सबसे आगे – UGC

$
0
0

हम भी यूपी के ही हैं। हैडिंग लिखते वक्त समझ नहीं आ रहा था क्या लिखें। कोई अच्छी बात होती तो लिखते कि यूपी ने मारी बाज़ी। पर ये अच्छी बात तो है नहीं। अभी कुछ दिनों पहले ही पता चला कि बिहार में प्रॉडिकल साइंस पढ़ने वाले बच्चे टॉप कर रहे थे। 20-20 लाख रुपये में टॉपर बने थे। शिक्षा की वो हालत देखकर बुरा लगा। हमने खूब लानतें भेजीं।

पर यूपी-बिहार का पुराना नाता है। दोनों में चाहें जैसी भी अन-बन हो, ज्यादा समय एक-दूजे से दूर नहीं रह सकते। अब बिहार ने शिक्षा में नाम रोशन किया तो यूपीवाले कैसे पीछे रहते? राज्य में तीन-तीन केंद्रीय विश्वविद्यालय हैं, 2 आईआईटी संस्थान हैं पर फॉर्ज़ीवाड़ा चलाना ज़रूरी था।

UGC

यूजीसी ने शनिवार को देश के फ़र्ज़ीवाड़े यूनिवर्सिटीज़ की सूची जारी की। आपको बता दें कि हमारे देश में 22 फ़र्ज़ीवाड़े विश्वविद्यालय हैं, कॉलेज और स्कूल तो अभी भूल ही जाइए। और इन 22 में से 7 हैं यूपी में। मतलब सात विश्वविद्यालयों के साथ इस सूची में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। साधारण शब्दों में कहें तो शिक्षा के मामले में उत्तर प्रदेश गर्त से गटर में जा रहा है।

अभी रुकिए, इन यूनिवर्सिटीज़ के नाम पढ़ते जाइए। नाम पढ़कर आप सोचेंगे ही नहीं कि ये फ़र्ज़ी होंगे –

  1. गुरूकुल यूनिवर्सिटी, वृंदावन
  2. महिला ग्राम विद्यापीठ, इलाहाबाद
  3. गांधी हिंदी विद्यापीठ, इलाहाबाद
  4. नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ इलेक्ट्रो कॉम्प्लेक्स होमियोपैथी, कानपुर
  5. इंद्रप्रस्थ एजुकेशन काउंसिल, नॉएडा
  6. वाराणास्यः संस्कृत यूनिवर्सिटी, वाराणसी
  7. नेताजी सुभाषचंद्र बोस ओपन यूनिवर्सिटी, अलीगढ़

देशप्रेम और भक्ति-भावना से ओत-प्रोत इनके नाम आपके विश्वास को 20% बढ़ा देते हैं। आपकी भी गलती नहीं है। जहां ऐसे शब्द आते हैं हमारी भक्ति जाग जाती है और इनका चूल्हा जलता है। क्या करें ये भक्ति जाती ही नहीं।

The post फ़र्ज़ी यूनिवर्सिटीज़ की लिस्ट में यूपी है सबसे आगे – UGC appeared first on Firkee.

क्या-क्या सुनते हैं आप जब किराए पर कमरा लेने जाते हैं

$
0
0

छोटे शहरों को भूल जाइए जनाब, फिलहाल हम दिल्ली और मुंबई की बात कर रहे हैं जहां ‘ऊंची सोच वाले बड़े लोग’ रहते हैं। आप कमरा लेने जाइए किराये पर, आपको आटे-दाल का भाव मालूम हो जाएगा। अरे न-न! हम उन कमरों की तो बात कर ही नहीं रहे जो आप कुछ घंटों या 1-2 दिन के लिए लेने जाते हैं। भारत में एक प्रचलित शब्द है – किरायेदार। किरायेदार समझते हैं आप? वो इंसान जो पैसे देकर किसी के घर का कोई कमरा या फ्लैट या औकात हो तो पूरा घर ले रहा हो, हमेशा के लिए नहीं। हर महीने का किराया देकर।

कभी दिल्ली आए हैं कमरा लेने? हां, यहां लेना थोड़ा आसान है। 99acres, OLX और पता नहीं कितनी साइट्स पर कमरों के विज्ञापन होते हैं। पर उन विज्ञापनों से निकलकर कमरे आपके सामने नहीं आ जाते। आप उन्हें कॉल करते हैं फिर डीलर/ब्रोकर या मकान मालिक से मिलते हैं। जैसे ही OLX की तकनीकी दुनिया खत्म होती है, आप रियल लोगों के सामने पहुंचते हैं, सारी हवाबाज़ी गुम हो जाती है। आपसे पचास तरह के सवाल किए जाएंगे। ऐसे सवाल कि सुनकर आपको लगेगा ये लोग यूपी-बिहार या छत्तीसगढ़ के किसी गांव में होने चाहिए थे। दिल्ली बेकार ही मॉडर्न बनती है। ऐसे सवाल कि आप कन्फ्यूज़ हो जाएंगे कि कमरा लेने आए हैं या मकान मालिक के बेटे/बेटी का हाथ मांगने।

कई बार आपके सामने इतने टर्म्स और कंडीशंस रखे जाते हैं कि आपको लगता है आप ISI के एजेंट हैं। नहीं भी हैं तो ये लोग शायद कुछ ऐसा ही समझ रहे हैं। हम आपको बता रहे हैं ऐसे ही कुछ सवाल जो अमूमन सबसे पूछे जाते हैं जब हम कमरा लेने जाते हैं, किराये पर।

यूपी-बिहार की होगी तो या तो सीधी होगी या गंवार.. है न?

Untitled

इस सवाल पर तो लगता है कि अपनी सारी डिग्री और सर्टिफिकेट्स में आग लगा दें क्योंकि जानना तो इन्हें कास्ट ही है। भंगी हूं, रहने दोगे तो बताओ नहीं तो चुप रहो!!!

Untitled2

ब्राह्मण हूं और सबकुछ खाती हूं। किराया देकर रहना है मुफ्त में तो रखोगे नहीं, तो फिर? 

Untitled3

कहां लिखा है आंटी कि लड़की के घर में लड़के नहीं आते हैं? आपके घर में रहने वाले लड़के कांड करते हैं क्या? हॉस्टल दे रही हैं या रूम? डिसाइड कर लीजिए। 

Untitled4

हां, ऑफिस से सीधे घर आना है, पता है। बाकी तो कोई काम होता नहीं है इंसान को। एक कमरे पर इतने नखरे!

Untitled5

अंकल, पहले समझा दीजिए कि खाना-पीना क्या होता है? फैमिली में कैसे रहना है हमें भी पता है। हम जंगल से सीधे आपके घर नहीं आए हैं..

Untitled6मतलब मेरा कमरा है तो यहां सिर्फ़ मुझे रहना है, यही न? सोसाइटी में दंगे हो जाएंगे मेरे दोस्तों के आने से। बाकी लोग तो मंगल ग्रह से आए हैं यहां।

Untitled7

समझ ही नहीं आता है कि कमरा लेने आए हैं या केबीसी खेलने..

The post क्या-क्या सुनते हैं आप जब किराए पर कमरा लेने जाते हैं appeared first on Firkee.


प्रियंका गांधी को मिल गई फुलटाइम नौकरी, संभालेंगी यूपी में कांग्रेस की कमान

$
0
0

सरकार और चुनाव के मामले में उत्तर प्रदेश की किस्मत भी बिहार जैसी ही है। वहां लालू और नितीश चलते हैं यहां मुलायम और मायावती.. दोनों बारी-बारी से। एक बड़ा फ़र्क ये है कि लालू-नितीश तो एक हो गए पर मायावती ने पिछले ही साल बता दिया था कि किसी भी सूरत में समाजवादी पार्टी को सपोर्ट नहीं करेंगी।

कहा जाता है कि 10 जनपथ का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुज़रता है पर उत्तर प्रदेश अपने आप में एक उलझा हुआ राज्य है। लोग पिछले दो दशक से अक्कड़-बक्कड़ खेल रहे हैं और सपा-बसपा को वोट दे रहे हैं। क्या करें? कोई बढ़िया ऑप्शन भी तो हो। मैडम जी पार्क बनवाकर चली गईं तो अखिलेश बाबू को बुलाया गया। इन्होंने लैपटॉप बांट दिए, लो जी हो गया यूपी का कल्याण!

Mayawati

अरे हां, कल्याण से याद आया। जिस ज़माने में भाजपा यूपी में जीता करती थी उस समय कल्याण कभी यहां के मुख्यमंत्री थे। इस बार भी यूपी के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए आज मोदी जी ने कैबिनेट में फेरबदल किया। कई नए लोग भी आए, कुछ ‘नोट के बदले वोट’ वाले लोग भी आए। ये सब राज्य के चुनावों को ध्यान में रखकर किया गया। इन सबके बीच एक बड़ी खबर थोड़ी दब गई। वो ये कि इंदिरा गांधी की पोती को अब फुलटाइम नौकरी मिल गई है।

ख़ैर, प्रियंका मैडम को नौकरी की क्या ज़रूरत? गांधी हैं, इतना ही काफी है। उनके चक्कर में तो रॉबर्ट वाड्रा भी इंडिया के प्रिंस विलियम बन लिए। तो बात ये है कि प्रियंका गांधी अब फुलटाइम पॉलिटीशियन बन गई हैं। उन्होंने खूब बचने की कोशिश की। वो इसलिए भी बचती रहीं कि कहीं भैया का करियर न खराब हो जाए। लेकिन भैया का करियर है कि सरकारी ऑफिस का प्रिंटर, खराब ही पड़ा हुआ है।

अभी कांग्रेस की हालत बहुत ही खराब है। केंद्र में तो है ही नहीं, राज्यों में भी बस गिनती के कुछ नाम हैं कांग्रेस के हिस्से। अब ऐसे में यूपी का रिस्क कैसे ले लें सोनिया मैडम? वो भी इतने वक्त से देख ही रही हैं कि राहुल बाबा कुछ कमाल नहीं दिखा पा रहे हैं। बहुत मेहनत से स्पीच देना सीख लिया है पर ये यूपी है बेटा.. यहां चुनाव बच्चों का खेल नहीं होता है (वो बात अलग है कि लोग वोट देने से पहले रत्तीभर भी बुद्धि नहीं लगाते)। देश की सर्वाधिक जनसंख्या वाले प्रदेश में इस बार तो वैसे भी रिस्क नहीं लिया जा सकता।

Rahul

अरे जब 282 सीट वाली मोदी सरकार नहीं ले रही है तो राहुल के उम्र भर की सीट पाने वाली सोनिया मैडम काहे लें भला। उन्हें शायद पता चल गया कि युवराज जी से कुछ न हो पाएगा। तो इस बार प्रियंका बिटिया को मैदान में उतारना ही होगा। ये अफ़वाह नहीं है भाई, ख़बर पक्की है। प्रियंका अब फुलटाइम राजनीति में आ रही हैं। यूपी में कांग्रेस का बेड़ा शायद यही पार करवा सकें।

अभी तक जब भी सोनिया जी यूपी में वोट लेने जाती हैं तो ये बताना नहीं भूलतीं कि यूपी की तो बहू हैं वो। फिर इंदिरा की पोती का तो जन्मसिद्ध अधिकार हुआ न यूपी पर। वो तो लड़की जानबूझकर भाई के लिए सब छोड़े हुए थी जैसे लड़कियां अपने पापा की प्रॉपर्टी को भाई के लिए छोड़ देती हैं। पर भाई को संभालना आए तब तो। इसलिए इस बार प्रियंका संभालेंगी। अब यूपी वाले भी कम इमोश्नल थोड़े हैं। सोनिया बहू बनकर वोट ले जाती हैं, प्रियंका बेटी बनकर ले जाएंगी। कुछ लोग ये देखकर भी उनपर प्यार लुटाएंगे कि बच्ची की शक्ल अपनी दादी की है। बाल-वाल भी वैसे ही हैं। इस समय की इंदिरा ही है समझो। यहां लोग इमोश्नल होकर ही तो वोट देते हैं। उसके बाद 5 साल तक सुस्ता लेते हैं।

Priyanka..

भाजपा वाले इस बात पर कांग्रेस की फिरकी ले रहे हैं कि – लगता है अब कांग्रेस को पता चल गया है कि राहुल में कोई दम नहीं है। हमें तो भाजपा पर ही हंसी आ रही है। ये बात कांग्रेस को आज ही से थोड़ी पता है यार। पर क्या करें, अपना बेटा है.. अपनी राजनीति है। यहां भी करियर न बनवा पाए तो क्या फायदा दादी की पार्टी का! हां नहीं तो!

The post प्रियंका गांधी को मिल गई फुलटाइम नौकरी, संभालेंगी यूपी में कांग्रेस की कमान appeared first on Firkee.

“आतंकवादी निकला तारिषी का दोस्त फ़राज़”

$
0
0

कल तक हम और आप तारिषी के दोस्त फ़राज़ की तारीफ में कसीदे पढ़ रहे थे। हमें लग रहा था कि सच्चे और ईमानदार दोस्त का सबसे बढ़िया उदाहरण है फ़राज़। हम सभी फ़राज़ को सलाम करना चाहते थे।

आज इस वाकये में एक और नया किस्सा जुड़ गया है। बांग्लादेश की एक पत्रिका है – Dailyniropekkha। इसने आज एक और रिपोर्ट दी जिसने सोशल मीडिया में तहलका मचा दिया है। बांग्ला में प्रकाशित इस पत्रिका के मुताबिक फ़राज़ कोई हीरो नहीं है बल्कि वो निब्रस इस्लाम नामक आतंकवादी का दोस्त है। पत्रिका ने हवा में ये बातें नहीं कहीं। इसके साथ तस्वीरें भी साझा की हैं जिनमें फ़राज़ उस आतंकवादी के साथ खड़ा है।

Faraz

Faraz2

हम फ़राज़ को ये सोचकर महान मानते रहे कि वो बच सकता था पर अपनी दोस्ती निभाने के लिए उसने जान दे दी। पर साहबज़ादे तो आतंकवादी निकले। एक वीडियो भी जारी किया गया है जिसमें वो बंदूक लिए दिखाई दे रहे हैं। इस वीडियो पर सोशल मीडिया में खूब बवाल हुआ है और बाद में यू-ट्यूब देवता ने ये वीडियो ही हटा दिया। फिर कुछ बातें हुईं और यू-ट्यूब ने वीरता दिखाते हुए वीडियो लगाया।

फ़राज़ मारा गया तो उसकी लाश भी आतंकवादियों की लाशों के बीच रखी गई थी फिर भी हमने उसकी दोस्ती पर शक नहीं किया। अब जब वो आतंकवादी साबित हो रहा है तो लोगों से अपील है कि इसमें ज़बरदस्ती इस्लाम न घुसाएं, अच्छाई और बुराई का कौम से कोई लेना-देना नहीं है। मुसलमान अच्छे हैं ये बताने के लिए फ़राज़ ही एकमात्र उदाहरण नहीं था जिसके गलत साबित होने से क़ौम पर बात आ जाए।

ख़ैर, अब आपको ये ग़लतफ़हमी क्यों हुई ये बताते हैं। दरअसल बांग्ला पत्रिका के मुताबिक फ़राज़ के नाना की एक पत्रिका है। घर में ही पत्रकारिता हो रही थी तो नाती को हीरो बनाना आसान हो गया। वहीं से ये बात उठी कि फ़राज़ हीरो था। फ़राज़ के नाना की पत्रिका – ‘प्रोथोम आलो’ ने लिखा कि वो आयत सुनाकर बच सकता था। उसे आतंकियों ने वैसे भी बाहर जाने को कहा पर वह अपनी दोस्त को छोड़कर नहीं गया। इसके बाद नेकी के नाम पर ये ख़बर मीडिया में फैल गई।

Faraz3

हमने उसे हीरो बना दिया। अब हममें से कई लोग उसे खराब मानकर धर्म को बदनाम कर देंगे। धर्म अगर बीच से हट जाए तो कई मसले सुलझाए जा सकते हैं पर हम धर्म को हटाकर बात करना ही नहीं जानते। फिलहाल पत्रिका की मानें को फ़राज़ को सलाम करने का सिलसिला खत्म होना चाहिए।

कल से हमारे इस ख़बर पर खूब बहस चल रही है क्योंकि किसी हिंदी मीडिया ने इसे अभी तक नहीं दिखाया है। आज सुबह ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के पहले पेज पर अमूल का कार्टून प्रकाशित हुआ है, जिसके बाद हमें कुछ कहने की ज़रूरत नहीं लगती।

Amul

The post “आतंकवादी निकला तारिषी का दोस्त फ़राज़” appeared first on Firkee.

डियर अली अनवर, इशरत तो बेटी थी.. स्मृति क्या लगती हैं?

$
0
0

हमारे यहां एक काम बड़ी आसानी से हो जाता है – टांग खिंचाई। इसके लिए आपको कभी किसी को न्यौता नहीं देना पड़ेगा। कुछ लोग ऐसे हैं अपने यहां जो वाकई एक पैसे लायक नहीं होंगे पर वो गंभीर बने रहते हैं। उनपर कोई कुछ नहीं कहता है और कुछ लोग हर बात में मज़ाक का पात्र बन जाते हैं। ख़ैर, ये लोकतंत्र है और यहां कोई किसी की अभिव्यक्ति पर कुछ नहीं कह सकता।

फरवरी में स्मृति ईरानी ने संसद में स्पीच दी थी। उनकी स्पीच का एक-एक लफ़्ज़ वायरल हो गया। उन्होंने उस स्पीच में मेलोड्रामा के अलावा भी बहुत कुछ कहा था पर लोग उन्हें तुलसी वाले किरदार से ऊपर उठकर देखने को तैयार ही नहीं हैं। उन्हें उस भाषण में सिर्फ़ नौटंकी नज़र आई। जो लोग उन महानुभावों पर कुछ नहीं बोलते जो कैमरे के सामने हकलाने लगते हैं, वो भी स्मृति पर खुलकर तंज कस रहे थे। सोशल मीडिया पर उन्हें “AUNTY-NATIONAL” कहा गया।

एक 39 वर्ष की महिला को खुलकर आंटी कहा जाता है, मज़ाक का पात्र बनाया जाता है और लोग हंसते हैं, एंजॉय करते हैं। उन्हें ये शब्द तकलीफ नहीं देता, किसी महिला की अस्मिता पर ये कुठारघात नहीं लगता। स्मृति को कोई सपोर्ट नहीं मिला, इस “AUNTY-NATIONAL” जैसे शब्द पर किसी ने आपत्ति नहीं जताई क्योंकि उस वक्त स्मृति का मज़ाक बनाना ट्रेंड में था।

Smriti1

दो दिन पहले कैबिनेट में फेरबदल हुआ। दिन में नए लोग शामिल किये गए और शाम तक एक और ख़बर आई। वो ख़बर जिसने तहलका मचा दिया। स्मृति ईरानी को मानव-संसाधन मंत्रालय से हटा दिया गया। लोगों में अपार प्रसन्नता थी। हो भी सकती है, ये उनका अपना मत है। उनकी शैक्षणिक योग्यता पर बवाल हुआ था और कई लोग उन्हें बतौर शिक्षा मंत्री पसंद नहीं करते। उनकी खूब खिंचाई हुई। इन सबके बीच जो चीज़ तकलीफ़ देती है वो ये कि कई बार बिना मतलब के भी उनकी खिंचाई के रूप में एक महिला का तिरस्कार हो जाता है।

इस बार स्मृति ने बहुत ही इज़्ज़त के साथ मीडिया की बेइज़्ज़ती कर दी। जब कपड़ा मंत्रालय में पहुंचने के बाद मीडिया ने उनसे पूछा कि उनके दौर में HRD ministry बहुत विवादों में रहा तो क्या इसी वजह से उन्हें कॉन्ट्रोवर्सी झेलनी पड़ी? उन्होंने बहुत कायदे से जवाब दिया कि शायद पहली बार इतनी संख्या में मीडिया के लोग कपड़ा मंत्रालय में आए हैं तो ये बात तो तय है कि स्मृति का और मीडिया का साथ बना रहेगा।

जनता दल युनाइटेड के एक नेताजी हैं। अली अनवर नाम है सर का। बहुत ही संवेदनशील इंसान हैं। संवेदनशील इसलिए हैं क्योंकि वो हवा की रुख से अलग भी अपनी बात रखने की कुव्वत रखते हैं। जब देश इशरत जहां को आतंकवादी कह रहा था तब इन्होंने किसी बहस की परवाह किये बिना उसे बिहार की बेटी बताया था। आज इनसे मीडिया की बातचीत हुई और इन्होंने अपने अंदाज़ में स्मृति पर कह दिया कि – उनको भी कोई खराब विभाग थोड़े न मिला है, तन ढकने वाला विभाग मिला है। इस टिप्पणी के साथ उनकी कुटिल मुस्कान ने बता दिया कि वो कितनी तमीज़ और इज़्ज़त के साथ ये बात कहना चाह रहे थे। हमारे गली-सड़क-मुहल्ले से लेकर राजनीतिक गलियारों तक में औरतों को कब कैसे कितनी इज़्ज़त देनी है, ये लोग खुद-ब-खुद तय कर लेते हैं। महिलाओं को बदन और कपड़े से उठकर देख पाना अब भी हमेशा संभव नहीं हो पाता।

अली अनवर ने इशरत को बिटिया बता दिया क्योंकि ये उनकी पार्टी और राजनीति के हक में था। फिर अनवर साहब ने स्मृति के लिए ‘तन ढंकने वाला मंत्रालय’ कहा क्योंकि ये भी उनकी पार्टी और राजनीति के पक्ष में था। इशरत जहां का वोट बैंक की तरह इस्तेमाल हो सकता है, स्मृति ईरानी से इन्हें कुछ भी नहीं मिल सकता। इस बीच एक औरत की अस्मिता कुचली जाती है, बचा रह जाता है उसका तन-बदन-जिस्म और कपड़ा। जिस मुस्कुराहट के साथ अली अनवर ने यह टिप्पणी की, वैसी मुस्कान के साथ गली-चौराहे पर खड़े आवारे लड़के लड़कियों पर तंज कसते हैं तो लड़कियां पलटकर जवाब नहीं देतीं, सिर घुमाकर चली जाती हैं। उनकी मां ने सिखाया होता है कि ऐसी बातें इग्नोर करनी हैं। इससे उन लड़कों का मनोबल बढ़ता है और उनकी वो घटिया मुस्कान बनी रहती है।

ऐसी टिप्पणी की जब आदत पड़ जाती है तो इंसान न चाहते हुए भी अपना कद और पद भूल जाता है और वो संसद पहुंचकर भी वही चौराहे वाला लड़का बना रहता है। अली अनवर से शायद स्मृति कुछ न पूछें लेकिन मैं ज़रूर जानना चाहूंगी कि इशरत को बेटी कहने वाले के लिए स्मृति क्या हैं? एक सहकर्मी को तन-बदन से ऊपर उठकर कब देखा जा सकेगा? औरतों के लिए ऐसे घटिया शब्द और टिप्पणियां कबतक मज़ाक बने रहेंगे? ऐसे शब्दों से कहां तक रसास्वादन किया जा सकेगा?

साहब ने बाद में सफाई भी दी और इसे संवेदनात्मक ज़मीन से जोड़ते हुए बताया कि वो बुनकर वाले परिवार से आते हैं। जबतक कमेंट को सेक्सिस्ट न करार दिया जाए उसका रस लेना आसान बना रहता है। जब बात बढ़ गई तो माफी मांगकर खिसक लो, ये सबसे आसान है। ऐसे कमेंट्स में रस लेने वाले लोग कबतक संसद पहुंचते रहेंगे? ऐसी बातों में रस कहां से मिल जाता है? औरतें क्यों सिर्फ़ आनंद की अनुभूति का पात्र बनी रह जाती हैं? इन सबका जवाब अनवर जी के पास शायद न हो, क्योंकि उन्होंने सोचा होगा कि उनके चुटकी लेने के बाद इसपर भी स्मृति की खिंचाई होगी। पर ऐसा नहीं हुआ। इस बात पर अब खूब राजनीति हो सकती है। इस्तीफे मांगे जा सकते हैं, कूटनीति हो सकती है.. पर एक औरत की अस्मिता इसमें कहीं पीछे छूट जाती है।

अपनी इज़्ज़त करवाने के लिए एक औरत को विक्टोरिया या गांधी होना पड़ता है। लम्बी पारी खेलनी पड़ती है। नहीं तो फिर अली अनवर अकेले नहीं हैं। ऐसे बहुत-से लोग हैं जो औरतों को देखकर ही उनकी समझ की मापतोल करने का हुनर रखते हैं। ख़ैर, अली अनवर साहब को उनकी आंशिक संवेदनशीलता के लिए धन्यवाद! बेहतर होगा अगर औरतों का ऐसी संवेदनशीतला से उद्धार न किया जाए।

The post डियर अली अनवर, इशरत तो बेटी थी.. स्मृति क्या लगती हैं? appeared first on Firkee.

फेसबुक पर फालतू Messages के क्या जवाब देना चाहती हैं लड़कियां

$
0
0

हमारे यहां एक सोशल नेटवर्किंग साइट है, फेसबुक नाम है। आजकल बहुत बड़ी आबादी आपको इसपर मिल जाएगी। लड़के-लड़कियों की तो छोड़िए, बड़े-बूढ़ों के बीच भी ये अपनी जगह बनाता जा रहा है। अब जब सारे लोग इस साइट पर हैं तो कुछ तो करते ही होंगे। कुछ लोग पोस्ट लिखने के लिए आते हैं और कुछ उन्हें पढ़कर लाइक या कमेंट करने। लड़कों की जमात का एक बड़ा हिस्सा इसपर एक और महान काम करने आता है, चैटिंग करने, लड़कियों से। और लड़के ही क्यों.. 30-40 साल के आदमी-टाइप लोग भी ये काम बड़े प्यार से करते हैं। इनमें से कुछ लोग सामाजिक तौर पर बड़े बुद्धिजीवी बनते रहते हैं पर इनबॉक्स की बातें तो प्राइवेट हैं न। इनबॉक्स में अपनी सोच का सागर बहा देते हैं। लड़कों का दिमाग निचोड़ने पर आपको बाल्टी भर स्यापा मिलेगा न! लड़कियों का इनबॉक्स निचोड़कर देखिएगा। आपको स्यापे से बड़ा शब्द ढूंढने की ज़रूरत महसूस होगी।

लड़की ऑनलाइन हुई नहीं कि बकवास शुरू। सुबह-सुबह कुछ नहीं तो गुड मॉर्निंग! अबे नहीं चाहिए तुम्हारा गुड मॉर्निंग.. जो आपको नहीं जानते हैं वो भी messages ठेलते रहते हैं। मुझसे दोस्ती कर लीजिए.. आप बहुत अच्छी दिखती हैं.. आप बहुत अच्छा लिखती हैं.. ब्ला-ब्ला-ब्ला!

एक काम करो प्लीज़! यहां से दफ़ा हो जाओ। ख़ैर, अमूमन लड़कियां ऐसे संदेश इग्नोर कर देती हैं पर मन तो उनका भी करता है कि खींच के 2 कंटाप कनपट्टी पर लगाएं ताकि सामने वाले का दिमाग ठिकाने आ जाए। इतना नहीं तो बैठकर तमीज़ से क्लास ले लें उस नालायक की। पर इतना टाइम कौन खपाए इन खलिहर लोगों पर। तो हम आज बता रहे हैं लड़कियों के फेसबुक इनबॉक्स में आने वाले कुछ मैसेजेज़ और उसपर लड़कियों का रिएक्शन (जो रिएक्शन देने का उनका मन करता है)।

 मैसेज GIF1n

जवाब
GIF1..

मैसेज

GIF6

जवाब

GIF6..

मैसेज

GIF2

जवाब

GIF2..

मैसेज

GIF3

जवाब

GIF3..

मैसेज

GIF4

जवाब

GIF4..

मैसेज

GIF5n

जवाब

GIF5..

हम ये जवाब उन लोगों के मुंह पर भी मार सकते हैं.. पर टाइम नहीं है यार! 😉 मन तो करता है एक ही लाइन में सबको खड़ा कर के इकट्ठे सुना दें.. काश! ये संभव होता।

The post फेसबुक पर फालतू Messages के क्या जवाब देना चाहती हैं लड़कियां appeared first on Firkee.

डरने से डर नहीं लगता तो देखें ये वीडियो

$
0
0

आप आत्माओं में यकीन रखते हैं? अरे मैं उस आत्मा की बात नहीं कर रही जो हम सब के अंदर है। मैं बात कर रही हूं भटकती आत्माओं की। क्या आप भूत-प्रेत जैसी चीज़ें मानते हैं? आपको डर लगता है? इंडिया में हॉरर फिल्मों के नाम पर वैसे भी ‘राज़’ और ‘1920’ से आगे बात बढ़ नहीं पा रही है।

हम लाए हैं आपके लिए FunkyFlunky की एक वीडियो, ये कितनी हॉरर है इसे देखने के बाद ही पता चलेगा। पर बात ये है कि किस्सा अभी आगे भी चलने वाला है। ये वीडियो है एक क्यूट कपल की, जो साथ में रहते हैं। लड़का फिल्म देखता है, उसे प्यास लगती है। वो पानी पीता है फिर आगे क्या होता है ये आप खुद ही देख लें।

कई सवाल अधूरे रह गए न? कोई बात नहीं। हम अगला एपिसोड भी ढूंढ लाएंगे आपके लिए। 🙂

The post डरने से डर नहीं लगता तो देखें ये वीडियो appeared first on Firkee.

Viewing all 94 articles
Browse latest View live